बुधवार, 8 अप्रैल 2009

अभिमत/प्रो- नित्यानंद तिवारी

श्री मदन मोहन चतुर्वेदी द्वारा प्रणीत 'शाश्वत रामायण ' को पढ़ने का अवसर मिला।
मेरी दृष्टि में चतुर्वेदी जी के काव्यग्रंथ में मूलभूत तत्व यह है की धर्म तो एक ही है-सनातन धर्म ,बाकि देश काल के अनुसार विभिन्न उपासना पद्धतियाँ हैं।सभी धर्मों का मूल सनातन धर्म (वेद औए वेदांग) है।चाहे कोई दार्शनिक सम्प्रदाय स्पष्ट रूप में स्वीकार न करे लेकिन वेद में निहित मानव धर्म को सभी स्वीकार करते हैं, कारण कि वेदों में ज्ञान के सार्वभौम और सार्वकालिक स्वरुप के प्रति आग्रह्मुक्त खुलापन है।

रविवार, 22 फ़रवरी 2009

शाश्वत रामायण

एक ऐसा ग्रन्थ जिसमे हिंदू धर्म के समस्त सिद्धांत समाहित हैं।